देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल….
कृष्ण के द्वार पे, विश्वास लेके आया हु,
मेरे बचपन यार है … मेरा श्याम
बस यही सोच के आस लेके आया हूँ !
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो॥
की दर पे सुदामा गरीब आ गया है॥
भटकते भटकते न जाने कहा से ॥
तुम्हारे महल के करीब आ गया है॥
न सर पे है पगड़ी , न तन पे है जामा
बता दो कन्हैया से नाम है सुदामा ॥
तुम एक बार मोहन से जाकर के कह दो ,
कि मिलने सखा बदनसीब आ गया है ॥
अरे द्वारपालों ……
सुनते ही दौड़े चले आये मोहन,
लगाया गले से सुदामा को मोहन ,
हुआ रुक्मिणी को बड़ा ही अचम्भा,
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है ॥
अरे द्वारपालों ……
बराबर में अपने सुदामा बेठाए,
चरण आसुओ से श्याम ने धुलाये,
ना घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,
ख़ुशी का समां तेरे करीब आ गया,
अरे द्वारपालों ……