श्लोक – वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
है अधूरे मेरे काज सब आप बिन,
पुरे करने प्रभु आज आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये ॥
हे गजानन बुद्धि के दाता हो तुम,
अपने भक्तो के भाग्य विधाता हो तुम,
फिर सोया विनायक मेरा भाग्य क्यों,
भाग्य मेरा जगाने को आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये ॥
शंकर के सुवन गौरा लाला हो तुम,
अपने भक्तो पे रहते कृपाला हो तुम,
ये मेरा मन यूँ तुम बिन बहकता है क्यों,
बरसाने कृपा आज आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये ॥
संग में लेके आओ वीणावादिनी,
जिसकी शक्ति से निकले मेरी रागिनी,
साथ में लाओ लक्ष्मीजी गजगामिनी,
रिद्धि सिद्धि भी ले आप आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये ॥
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
है अधूरे मेरे काज सब आप बिन,
पुरे करने प्रभु आज आ जाइये,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये ॥